कुछ सस्ते, कुछ महँगे भाव
कुछ कच्ची, कुछ पक्की कविताओं का काव्य-संग्रह।
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Publisher Description
अच्छी कविता कह पाना एक विलक्षण प्रतिभा है, जो बिरलों में ही पाई जाती है। वहीं आम कामचलाऊ कविता, हर ज़ेहन में जन्म लेती है। आमतौर पर, हम और आप, ऐसी कविताओं को शब्दों का ताना-बाना बुनकर परोसने, या मोती की तरह पिरोकर, एक माला बनाने में आलस कर जाते हैं। या फिर कभी-कभी ऐसी कविताएं कचरा पेटी में दम तोड़ देती हैं। ऐसी ही कुछ कविताएँ एक IIT प्रशिक्षित, भारतीय रक्षा अभियंता सेवाओं में उच्च पद पर पदासीन अधिकारी के जेहन में भी पनपी हैं। कुछ इसी तरह की कविताओं को सँजोकर, इस पुस्तिका में प्रस्तुत किया गया है।