कामना और वासना की मर्यादा कामना और वासना की मर्यादा

कामना और वासना की मर्यादा

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Publisher Description

कामना एवं वासना को साधारणतया बुरे अर्थों में लिया जाता है और इन्हें त्याज्य माना जाता है। किंतु यह ध्यान रखने योग्य बात है कि इनका विकृत रूप ही त्याज्य है। अपने शुद्ध स्वरूप में मनुष्य की कोई भी वृत्ति निंदनीय नहीं है, वरन एक प्रकार से आवश्यक और उपयोगी मानी जाती है। जीवन रक्षा और जीवन विकास के लिए कामना तथा इच्छा का होना अनिवार्य है। इनके बिना तो किसी में कुछ करने का उत्साह ही पैदा नहीं होगा और मनुष्य फिर कष्टसाध्य प्रयत्न, श्रमशीलता में संलग्न ही क्यों होगा।

GENRE
Health, Mind & Body
RELEASED
2013
December 24
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
32
Pages
PUBLISHER
Bhartiya Sahitya Inc.
SELLER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
188.7
KB
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